बिना आतमा के मनसे भगवान कर आतमा के बात के गरहन नेहको करथै, काखे इनही ऊ मूरुख मानथै अउ उके समझै लग बाहिर हबै, काखे आतमा के सहायता लग ऊ सिक्छा के परख पवितर आतमा के दवारा करे जथै।
काखे ऊ मेमना जउन राजगद्दी के बीच हे हबै, उनखर देखभाल करही, ऊ उनके जीवन दे बाले पानी के झरना के लिघ्घो लइ जही अउ भगवान उनखर आंखी के हर आंसू के पोंछ देही।”