30 जरूरी हबै, कि ओखर महिमा बढै जाय अउ मै घटत जाव।
जेखर दुलहिन हबै, उहै दुलहा हबै, पय दुलहा के संगी जउन ओखर लिघ्घो ठाढ हबै, ओखर बात सुनथै, दुलहा के सब्द लग बोहत खुस होथै, अब मोर हइ खुसी पूर होथै।
जउन उप्पर लग आथै, ऊ बड्डे हबै, जउन भुंइ लग आथै, ऊ भुंइ के हबै, ऊ भुंइ के बात करथै, जउन स्वरग लग आथै, ऊ सब लग उप्पर हबै।
अच्छा तुमिन गुठेबा अपुल्लोस का हबै? अउ पोलुस का हबै? हम तो केबल ऊ सेबक हबन जेखर दवारा तुम बिस्वास के गरहन करे हबै, हमर मसे हर अकझन उहै काम करे हबै जउन परभु हमही सउपे हबै।
उहै देह मतलब मंडली के परधान हबै, उहै सुरू हबै, मरे हर मसे जी उठे बाले हे पहिलउठा हबै उहै सब हे बडा हबै।
जब सतमा स्वरगदूत पोंगा के बजाइस, ता स्वरग लग हइ कइन मेर के आरो आथै, “दुनिया के राज अब हमर परभु अउ उनखर मसीह के राज हुइ गय हबै, उहै जुग-जुग राज करही।”