37 फेर पवितर किताब हे अक्ठी बात अउ लिखररे हबै, जउन मनसे छेदे रथै, ऊ ओखरै पल्ला देखही।
देखा, उहै बादर हे आमै बाले हबै, सब मनसे उके देखहिन जउन उके छेदथै, उहो देखहिन अउ भुंइ के सगलू जात उनखर कारन रोइहिन हइ निस्चित हबै, आमीन।