इहैनिता मै तुमही गुठेथो, कि मै तुम्हर लिघ्घो ग्यानी मनसे अउ दिमाक बाले अउ गुरू के पठोहूं, तुम उन मसे कुछ के मार डरिहा अउ बोहतन के क्रूस हे टंगइहा अउ कुछ के अपन मंडली हे कोडा मरिहा अउ सहर-सहर हे मारत फिरिहा।
ऊ अपन देह हे हमर पापन के क्रूस हे लाद लइस, जेखर लग हम पाप के निता मर के नियाइपन के निता जिये लग जइ, तुम ओखरै मार खाय के दवारा तुम नांगा लग निक्खा होय हबा।