इन बेकार कामन के सजा भोगही, उन दिन दुपहरी भोग बिलास करै के पसंद करथै, उन कलंक अउ पापी हबै, अउ तुम्हर संग खात पियत हबै, ता अपन पार लग माया भोज करके एसो आराम करथै।
हइ मनसे अपन बेसरमी इफाजत लग ऊ तुम्हर संगति के खाना गन्दा धब्बा के जसना हबै, केबल अपन धियान रखथै, हइ बादर के जसना हबै जउन हवा के संग लइ जथै, पय बरसा नेहको लाथै, ऊ उन रूख के जसना जेहमा फडुहा नेहको लगथै, इहां तक कि पतझडो हे रूख जउन जर के खींच लइ गय हबै, अउ पूरी तरह लग दुइ बेर मर चुके हबै।