तुम तो अपन बाफ भुतवा लग हबा अउ अपन बाफ के इक्छा के पूर करै के चाहथा, ऊ तो सुरू लग खूनी रथै, ऊ सत्य हे ठाड नेहको रथै, काखे ओखर हे सत्य नेहको हबै जब ऊ झूठ बोलथै, ता अपनेन आदत के जसना बोलथै, काखे ऊ झूठा हबै अउ झूठ कर बाफ हबै।
पय मै अपन देह के अंग हे अक दूसर नियम देखथो, हइ मोर दिमाक हे मउजूद नियम के बिरोध लडथै, हइ मोके पाप के नियम के जउन मोर देह के अंग हे मउजूद हबै, गुलाम बनाय रखिस।
काखे जब हम मनसे के आदत जसना जियत रहन, हमर पाप पूरी तरह लालसा जउन नियम के दवारा आय रथै, हमर अंग हे हाबी रथै, ताकि हम असना खेती करी, जेखर परिनाम मिरतू हबै।