8 पय जीभ के कउ मनसे अपन वस हे नेहको के सकथै, ऊ अक्ठी असना बुराई करै बाले हबै, जउन कबहुन सान्त नेहको रथै अउ परान के नास करे बाले बिस लग भररे हर हबै।
उनखर नठेरी मरघटी के जसना उघरे हबै, उन अपन जीभ लग झूठ बोलथै, उनखर बिबडा हे सपुवा के जहर हबै।
जीभ अक्ठी आगी हबै, ओहमा अधरम के दुनिया भरे पडे हबै, हमर अंगन हे जीभ हबै जउन हमर सगलू देह के असुध्द के देथै, अउ नरक लग चमकदार हुइ के हमर जीवन काल हे आगी लगाय देथै।
हर मेर के गोरू अउ चिरइया, रेंगै बाले जीव, अउ पानी हे रहै बाले जीव, सब के सब मनसेन के दवारा वस हे हुइ सकथै या वस हे हुइ गय हबै,
तब ऊ सक्तिसाली पोखडी बाले अजगर सपुवा ऊ पुरान सपुवा, जउन दोस लगामै बाले भुतवा कहाथै अउ सगलू दुनिया के भटकाथै, अपन दूत के संग भुंइ हे गिराय दइन।