3 अगर हम घोडवा के वस हे रखै के निता ओखर मुंह हे लगाम लगाथै, ता ओखर सगलू देह के इछो-उछो घुमाय सकथै।
अगर कउ मनसे खुद के भक्त समझथै अउ फेर अपन जीभ हे रोक नेहको लगाथै, ऊ अपन मन के धोखा हे रखथै अउ ओखर महिमा बेकार हबै।
देखा, नाह जिहाज के ऊ केतको बडा काखे न होय अउ बोहत तेज हवा लग भले बहाय जथै, तउभरमा ऊ चलामै बाले के इक्छा के जसना अक्ठी नान हस पतवार लग चलाय जथै।