तुम अक्ठी बात के धियान रखा, तोर आचरन मसीह के संदेस के काबिल होय। हइमेर मै चाहे आयके तोर लग मिलो चाहे दुरिहां रहिके तोर बारे हे सुनो, मोके हइ पता होय कि तुम अक्ठी आतमा हे मजबूत के संग स्थिर होय अउ संदेस लग बिस्वास के निता अकजुट हुइके मेहनत करथा।
इहैनिता तुम्हर जिन्दगी हे जउन बुराई अउ गुस्सा हबै, उके दूर करके ऊ संदेस के नमरता लग अपनाउत जा, जउन तुम्हर मन हे बोय जथै, अउ तुम्हर आतमा के मुकति करै हे सक्ति हबै।
आने जात हे तुम्हर चाल चलन निक्खा होय, जेखर लग कि जेखर बारे हे उन तुमही अपराधी मेर जानके बदनाम करथै, तुम्हर निक्खा काम के देखके ऊ आगमन के रोज भगवान कर महिमा करही।
पय तुम अक्ठी चुने हर पुरखा अउ राज पदधारी याजकन के समाज अउ पवितर मनसे अउ भगवान के खास मनसे हबा, जेखर लग तुम ओखर महान कामन के घोसना कर सका, जउन तुमही अंधियार मसे निकार के अपन अथाह उजियार हे बोलाय लय हबै।