तुम हइ टेम इके नेहको पचाय सकता, काखे तुम अब तक देह के स्वभाव के हबा, तुम्हर मसे जलन अउ झगडा होथै। का हइ बात के सबूत नेहको हबै कि तुम देह के स्वभाव के हबा, अउ दुनिया के मनसेन के रीति हे नेहको चलथै?
तुम बुराई के बदला बुराई झइ करा अउ न गारी के बदला गारी देया, पय एखर उलटा आसीस देया, काखे इहै करै के निता तुम बुलाय गय हबा, कि तुमही फिरी हे आसीस पाय सका।