11 जब बेरा निकरथै, अउ घांम तिपै लग चारा मुरझाय जथै अउ फूल झर जथै, अउ ओखर चमक नास हुइ जथै, इहैमेर धनी मनसे अपन रास्ता हे चलत-चलत अउ अपन तरीका लग जिन्दगी बिताउत अक रोज माटी हे मिल जइहिन।
पय जब बेरा निकडथै अउ खूब घाम लगै लग पउधा झुराय जथै, काखे ऊ जर नेहको पकडे रथै।
जउन बाद हे काम हे लगे रहिन उन बस अक घंटा काम करे हबै अउ तै हमुन के ओतकै दय हबस, जेतका उनही जब कि हम सगलू दिन बोहत घाम हे काम करे हबन।
इहैनिता जब भगवान पटउरा के चारा के सजउटी हइ सीमा तक करथै, जेखर जीवन चुटु टेम कर हबै अउ जउन आने रोज आगी हे लेस दय जही, का ऊ तुमही कहुं बोहत सोभायमान नेहको करही? कसना कमजोर हबै तुम्हर बिस्वास।
पय बेरा निकडत टेम जर नेहको पकडय के कारन बिरवा झुराय जथै।
जउन हइ दुनिया के चीजन के ऊज करथै उन असना करै कि कउनो चीजन के ऊज नेहको करथै, काखे हइ दुनिया के चीज अबे के टेम हे अछप्प होत हबै।
जउन फिरी हे तुम्हर निता स्वरग हे धररे हबै, ऊ हरमेसा के जीवन सुध्द अउ अजर हबै।
जउन टेम परधान बरेदी परगट होही, ता तुम कबहुं नेहको बुझाय बाले महिमा के मुकुट पइहा।