2 अक्ठी तम्बू बनाय रथै जेखर पहिले परछी के परभिटिया हे चिमनी रथै अउ टेबुल रथै अउ बलि चढाय हर रोटी रथै, एही पवितर जिघा कहे जथै।
ऊ भगवान के बिनती घर हे घुस के भगवान कर चढाय हर बलि पवितर रोटी के कसके खाइन? काखे ओही अउ ओखर संगिन के उनखर रोटी खान पियन मूसा कर नियम के बिरोध रथै, ऊ रोटी के केबल पुजारी मनसेन के खाय पिये के उचित रथै।
मनसे चिमनी जलाय के खटिया कर तरी नेहको, पय पिरभिटिया हे मडाथै, ता ऊ घर के सगलू झन के उजेड मिलै।
अउ न अपन बेर-बेर बलि चढामै के निता ऊ स्वरग हे ऊ मेर घुसिस जसना मुख्ख पुजारी ऊ खून के संग, जउन ओखर अपन नेहको हबै, परम पवितर जिघा हे हर साल घुसथै।