काखे इन मनसेन के मन मोटा, अउ उनखर कान भारी हुइ गय हबै, अउ उन अपन आंखी बन्द करे हबै, असना न होय कि, उन कहुं आंखी लग देखय, अउ कान लग सुनय, अउ मन ले समझय, अउ फेर मै उनके निक्खा करी।
जसना ऊ अपन सगलू चिट्ठी हे इन बातन के चरचा करथै, उन चिट्ठी हे कुछ असना बात हबै, जउन समझै हे कठिन हबै, जउन अनपढ अउ हुसियार मनसे बिगाड देथै, हइ मेर अपन नास के लेथै।