भगवान के सुस्ताय के रोज के जिघा हे घुसे के ऊ टीमा अबे तक हबै, ता हमही डेराय चाही असना झइ होय कि तुम्हर मसे कउनो अयोग ठहरै अउ ओहमा घुसै लग दुरिहां झइ रही पामै।
इहैनिता अगर हम बिस्वासी बन गय हबन ता हम भगवान के ऊ सुस्ताय के रोज के जिघा हे जथन, जेखर बारे हे ऊ कथै, “मै गुसाय के हइ किरिया खाय रहों, इन मोर सुस्ताय के रोज के जिघा हे कबहुं नेहको जाय पइहीं।” भगवान के काम दुनिया के बनाय के बाद बढाय जथै।
मै स्वरग लग अक्ठी आरो हइ आदेस देत सुनाई देथै, “लिख, धन्य हबै।” ऊ मिरतू, जउन अब लग परभु हे बिस्वास करत मरे हबै, आतमा कथै, “असनेन होय, ताकि ऊ अपन मेहनत के बाद आराम के सकै, काखे उनखर निक्खा काम उनखर संग हबै।”
भगवान उनखर आंखी लग हर अक्ठी आंसू पोंछ डालही अउ उहां अब न कबहुन मिरतू होही, न सोक के कारन कउ रइहिन अउ न कउनो पीरा, काखे हइ सगलू पुरान बात समापत हुइ चुके हबै।”