मै परदेसी रहों अउ तुम मोके अपन घर हे नेहको ठहराया अउ जब मै बिना बन्डी के रहों, ता तुम मोके बन्डी नेहको ओढाया, जब नंगाय अउ जेल हे रहों अउ तुम मोर उप्पर धियान नेहको दया।
अपन जेलियर मनसेन के संग दुख हे उनखर दुख बांटा अउ जब तुम्हर डेरा जइजात के छंडाय लइन, ता अपने-अपन हे जउन नुसकान हुइस उके खुसी-खुसी सुइकार लइन, काखे उन जानथै कि हमर लिघ्घो अभिन्नो कुछ डेरा जइजात हबै जउन सबरोज रही।
कुछ मनसे पथरा लग मारे गइन अउ कुछ मनसेन के आरा लग चीर दइन अउ कुछ तलबार लग मारे गइन। उन गरीब रथै, उनही सताइन अउ उनखर संग बेकार बेउहार करिन, उन गेडरा छेडी के खलरी ओढ के इछो-उछो भटकत रहिन।