17 तुम जानत हबा कि ऊ बाद हे अपन बाफ के आसीस दुइबारा पामै के चाहथै, पय ऊ बेकार समझे गइस, ऊ रोउत एखर निता बिनती करिस, तउभरमा ऊ अपन बाफ के मन के नेहको बदल सकिस।
तुम बुराई के बदला बुराई झइ करा अउ न गारी के बदला गारी देया, पय एखर उलटा आसीस देया, काखे इहै करै के निता तुम बुलाय गय हबा, कि तुमही फिरी हे आसीस पाय सका।