इहैनिता मै तुमही गुठेथो, कि मै तुम्हर लिघ्घो ग्यानी मनसे अउ दिमाक बाले अउ गुरू के पठोहूं, तुम उन मसे कुछ के मार डरिहा अउ बोहतन के क्रूस हे टंगइहा अउ कुछ के अपन मंडली हे कोडा मरिहा अउ सहर-सहर हे मारत फिरिहा।
दुइ साल असना बीत जाय के बाद फेलिक्स के जिघा पुरकियुस, फेस्तुस स्वीकार के लेथै, काखे फेलिक्स यहूदिन के खुस रखै के चाहथै, इहैनिता ऊ पोलुस के जेल हे बनाय के रख देथै।
अपन जेलियर मनसेन के संग दुख हे उनखर दुख बांटा अउ जब तुम्हर डेरा जइजात के छंडाय लइन, ता अपने-अपन हे जउन नुसकान हुइस उके खुसी-खुसी सुइकार लइन, काखे उन जानथै कि हमर लिघ्घो अभिन्नो कुछ डेरा जइजात हबै जउन सबरोज रही।
तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”