3 पय अब तो उन बलि के दवारा हर साल पाप के सुरता करवाथै।
काखे हइ टीमा के मोर खून हबै, जउन बोहत मनसेन के निता उनखर पाप के छमा करै के निता बहोय जही।
तब ओखर चेलन के सुरता आथै, कि किताब हे लिखवरे हबै, “तुम्हर घर के धुन मोर भक्ति आगी के मेर जलत हबै।”
पय भित्तर बाले कोठा हे केबल मुख्ख पुजारी ओहमा घुसथै अउ उहो साल हे अक्कै बार। मुख्ख पुजारी बिना ऊ खून के कबहुं भित्तर नेहको घुसथै, जेखर लग ऊ खुद अपन निता अउ मनसेन के भूल चूक हे करे हर पाप के निता बलि चढाथै।