25 हमर मंडली आमै के निता झइ छांडा, जसना कि कुछ मनसे करथै बकि हम अक दूसरे के हिम्मत बांधी। अउ जसना कि तुम देखत हबा कि ऊ दिन लिघ्घो आउत हबै, ता असना करिहा कि अउ जादा परभु के संगति करिहा।
जब हम बिनती करै के जिघा हे गयन, ता हमके अक्ठी जबान हरवाहिन मिलथै जेहमा आगू कर बात गुठे बाले आतमा रथै अउ भभिस्य गुठेवै लग अपन मालिक कर निता बोहत कुछ कमाथै।
इहैनिता, हे पिरिया भाई अउ बेहन, जब तुम ऊ रोज के ओरगे हबा, ता परियास करा कि परभु के नजर हे पवितर अउ निरदोस पाय जा, अउ तुम्हर हे ओखर सान्ति के निबास होय।
परभु अपन टीमा पूर करै हे देरी नेहको करथै, जसना की कुछ मनसे समझथै, पय ऊ तुम्हर बारे हे धीर धरथै अउ हइ नेहको चाहथै कोनो नास होंय, बलुक सब झन के अपन पाप लग मन बदलै के मउका मिलै।