काखे तुम अपन पराथना के दवारा हमर मदत करथा, कि हमर पल्ला लग कइनमेर के ऊ बरदान के निता धन्यबाद परगट करे जाय सकै, जउन कइनमेर के बिनतिन के दवारा हमके मिले हबै।
कउनो मेर के गन्दा बात तुम्हर मुंह लग झइ निकरै, पय उहै जउन निक्खा बात होय अउ उन्नत के निता फायदा होय, असना बात जउन सुनै बाले के अनुगरह होय, असना बात मुंह लग निकरै।
हइ समुन्दर के उछाल लेहरा के जसना हबै, जउन अपन लज्जा गेजरा के रूप हे उछलथै, हइ रास्ता लग भटकत तरइया हबै, जेखर निता हरमेसा के निता बोहत अंधियार हे छांड दय हबै।