“कउन असना डउकी होही, जेखर लिघ्घो दसठे चांदी के पइसा हुइ अउ उनखर मसे अक्ठी पइसा भुलाय जाय, ता ऊ चिमनी जलाके के घर के झारी बहारी जब तक उके पइसा मिल नेहको जाय, तब तक ऊ उके खोजत रही?
जेखर हे तुम्हर बिस्वास नेहको हबै, ता उन ओखर नाम कसके ले? अउ जेखर बारे हे नेहको सुने हबै, ता ओखर हे कसके बिस्वास करै? अउ परचार करै बाले के बिगर उन कसके सुनै।