1 हे गुरू तुम हरवाह के अउ उनखर बनथै, अउ जरूरी हबै, सुरता रखा स्वरग हे तुम्हरो कउनो गुरू हबै।
ता ऊ उनखर लग कथै, तुमो मोर अंगूर के बगिया हे अइहा, मै तुमही सही मजदूरी दइहों।
राजपद पाय के जब ऊ फेरै लउटथै, ता ऊ अपन हरवाहन के जेही पइसा दय रथै, उनही अपन लिघ्घो बुलवाथै, ता पता करै कि लइ दइ के, ऊ मनसे केतका-केतका कमाय हबै।
जउन दया नेहको देखाही, ओखर नियाव बगैर दया करे जही, पय दया नियाव हे जीत पाथै।
मजदुरिहा तुम्हर फसल के काटिन, अउ तुम उनखर मजदूरी नेहको दया, ऊ मजदुरिहा तुम्हर बिरोध गवाह देथै, फसल काटै बाले पुकारथै, उन मजदुरिहन के आरो सेनाओ के परभु तक पहुंच चुके हबै।
ऊ गेडरा के बिरोध लडाई करही, पय गेडरा अपन बुलाय हर चुने हर अउ बिस्वासी चेलन के संग उनके हराय देही, काखे ऊ राजो के राजा अउ परभुओ के परभु हबै।”
ओखर कपडा अउ जांघ के खुरथा पइजामा हे हइ नाम लिखे हबै, “राजा कर राजा अउ परभु कर परभु।”