43 पतरस बोहत रोज तक याफा हे समोन नाम के कउनो खलरी के धंधा करै बालेन के इछो रथै।
इहैनिता कउनो के याफा नगर छो पठोय के समोन के जउन पतरस कहाथै बुला, ऊ समुन्दर के टाठा हे समोन खलरी के धंधा करै बाले के घर हे पहुना बनके ठहरे हबै।
अउ अब कुछ मनसेन के याफा पठोथै, समोन नाम कर मनसे के जउन पतरस कहाथै, उके बुलाइस।
ऊ खलरी के धंधा करै बाले समोन नाम के मनसे के इछो गउतरिहा बनाय के ठहराइस अउ ओखर घर समुन्दर के बगल हे हबै।
अउ उनही सगलू बात गुठेय के याफा के पठोथै।
ऊ हमके गुठेइस, कि ऊ अक्ठी स्वरगदूत के अपन घर हे ठाडे देखव, जउन याफा नगर हे मनसे पठो कि समोन जउन पतरस कहलाथै, बुलवा।
जब सुरु करिस, ता पवितर आतमा उनखर उप्पर उतर आइस, ओसनेन जसना सुरु लग हमर उप्पर उतरे रथै।
लुद्दा याफा सहर के लिघ्घो हबै। जब चेला सुनथै कि पतरस उछो हबै, ता उन दुइठे मनसेन के पठोय के ओखर लग हइ बिनती करिन, कि तै हरबी हमर इछो आ।
हइ बात सगलू याफा हे बगर जथै अउ बोहत मनसे परभु हे बिस्वास करथै।