जब तुम बिनती करत हबा, ता अपन कोठा हे जा अउ दूरा ढाप के अपन स्वरगी बाफ लग गुप्त रूप लग बिनती करा। तब तोर बाफ जउन गुप्त हे करे हर कामन के देखथै, तोके फडुहा देही।
पय उहां रुकय के अपन टेम पूर करके हम बिदा लयन अउ अपन यातरा पूर करथै, अपन डउकी अउ अपन लरकन के लइके नगर के बाहिर आइस उहां सागर हे घुटवा के बल झुक के बिनती करन।