33 ता परभु ओखर लग कथै, अपन गोड लग बूट उतार काखे जउन जिघा हे ठाडे हबस, ऊ पवितर भुंइ हबै।
मै तुमके मन बदलै के पानी हे बतिस्मा देथो, पय जउन मोर बाद हे आमै बाले हबै, ऊ मोर लग बोहत बलवान हबै, मै ओखर बूट उठामै के लायक नेहको हबो अउ ऊ तुमके पवितर आतमा अउ आगी लग बतिस्मा देही।
जब हम पवितर डोंगर हे ओखर संग रहन, ता हम खुदय बादर लग आउत हइ आरो सुने रहन।