22 पय जब सिपाही जेल हे पहुंचथै, ता चेलन के जेल हे नेहको पाथै, ता उन लउटके एखर संदेस देथै।
ता पतरस दुरिहां पाछू-पाछू पुजारी के अंगना तक आथै, उछो सिपाहिन के संग बइठके हइ देखथै, कि का होथै हइ देखथै।
मुरगोसा सुपाहिन हे बोहत हलचल मच जथै, कि पतरस के काहिन हुइस?
जब हम जेल हे पहुंचेन ता हम पायन कि जेल के सुरक्छा के तारा लगे हर रथै अउ दूरा हे पहरेदारन के ठाडे पायन पय दूरा खोलन ता भित्तर हमके कउनो नेहको मिलिन।
बिनती भवन के सुरक्छा करमी के मुखिया अपन सिपाहिन के संग उछो गइन, बिना बल ताकत के नेहको लानथै, काखे उनही डर रथै कि मनसे कहुं पथरा झइ मारै।