पय तुमके बिस्वास के नीह हे मजबूत अउ अडे बने रहे चाही अउ ऊ आसा लग नेहको भटके चाही, जउन तुमके संदेस के दवारा देबाय गय हबै, ऊ परचार बादर के तरी सगलू रचना के सुनाय गय हबै अउ मै पोलुस ओखर सेबक बने हव।
तुम सचेत रहा, तुम बोलै बालेन के बात सुनै हे अनसुना झइ करा, जउन मनसे भुंइ हे चेतावनी देय बालेन के आरो के अनसुना के दय रहिन, अगर उन नेहको बच सकिन, ता हम कसके बच सकब, अगर हम स्वरग लग चेतावनी देमै बाले के आरो अनसुनी के देब?