43 पय सिपाही पोलुस के कथै, कि जउन पइर सकथै, आगू कूदके पाखा हे निकर जाय
काखे हइ बिबाद सुरु हुइ चुकथै, ता एखर लग सेनापति के सरदार डर गइस कि कहुं ऊ पोलुस के खन्डा-खन्डा झइ के डारै, इहैनिता ऊ सिपाहिन के आदेस देथै, कि ऊ तरी जायके पोलुस के उनखर लग अलगे करके भित्तर छो लइ जाय।
अउ पोलुस के सबारी के निता घोडवा तइयार रखा, कि उके फेलिक्स हाकिम के लिघ्घो सान्ति ले पहुंचा देय।
पय पोलुस जउन कथै ओखर हे धियान देय हे सेना सिपाही जिहाज के मालिक अउ नाह जिहाज चलामै बाले बिस्वास करिन।
अगले रोज हम सैदा हे लंगर डालेन, इहां यूलियुस पोलुस के परति दया दिखाई अउ ऊ पोलुस के संगिन के इहां जाय अउ उनखर मदत करै के इजाजत दइ दइस।
ता पोलुस सिपाही अउ सिपाहिन ले कथै, “अगर हइ नाह जिहाज पर नेहको रहै, ता तुम नेहको बच सकथा।”
तब सिपाहिन के हइ बिचार होथै कि बन्दिन के मारे डालय, असना नेहको होय कि कउनो पइर के निकर भागय।
मै तीन-तीन बेर डंडा लग मारे गयों, अक बेर मोर उप्पर पथरा लग मरे गयों, तीन बेर मोर जिहाज बुडिस, अक रोज अउ अक रात मै समुन्दर के गहिरा पानी हे बितायों