39 जब दिन उगथै ता उन ऊ देस के नेहको पहचानथै, पय अक्ठी खाडी देखथै जेखर पाखा चउडा रथै, अउ बिचार करथै कि अगर हुइ सकै ता इहै तट पर नाह जिहाज के टिकामै।
यूसुफ धरमी मनसे होय के कारन मरियम कर बेज्जती नेहको करै के चाहथै, पय ओही लुके छुपे उतरवामै के बिचार करथै,
तब उन लंगर के खोलके समुन्दर हे छांड देथै अउ उहै टेम पतवारन के बन्धन छोर दिहिन, अउ हवा के आगू अगला पाल चढायके पाखा के पल्ला चलेन।
जब हम बच निकरन। ता पता हुइस कि हइ व्दीप के नाम माल्टा हबै।