29 तब पथरहली जिघा ले टेकराय के डर ले उन जिहाज के पाछू पल्ला चार लंगर डालिन, अउ सुबेन्नेन होय के ओरगथै।
फेर मल्लाहन उके उठाय के दूसर जुगाड करके नाह जिहाज के तरी ले बांधथै, अउ सुरतिस के चोरबालू पर टिक जाय के डर ले पाल अउ सामान उतार के बहत चल देथै।
ऊ आसरा हमर आतमा के मजबूत अउ जरूर लंगर के सकल हे रखथन, हइ परदा के ऊ पार स्वरगी मन्दिर गरभ हे पहुंचाथै,
पय जब केउंटा नाह जिहाज पर ले भागै चाहथै, इहैनिता उन गलही लग लंगर डालै के बहाने नाह जिहाज समुन्दर हे उतार दिहिन,
पय हमके कउनो टापू हे जायके होही।”
थाह लेय हे उन बीस पुरसा दहार पानी पाथै, अउ चुटु आगू बढके फेर थाह लैथै ता पन्दरा पुरसा पाथै।