16 तब कउदा नाम के अक्ठी नान ले टापू के आड हे बहत हम दिग्गत ले नाह जिहाज के वस हे के सकेन।
हइ दरसन के तुरन्त बाद हइ रास्ता निकारत भगवान मनसेन के बीच संदेस के परचार करै के निता बुलाय हबै, हम मकिदुनिया जाय के ठान लयन।
जिहाज बडेरा लग घेरर जथै, तब मुसकिल रथै कि बडेरा के चीरत जिहाज आगू बढथै, इहैनिता हम परयास करै के छांड दयन अउ बडेरा के संग नाह जिहाज के बोहै के निता छांड दयन।
फेर मल्लाहन उके उठाय के दूसर जुगाड करके नाह जिहाज के तरी ले बांधथै, अउ सुरतिस के चोरबालू पर टिक जाय के डर ले पाल अउ सामान उतार के बहत चल देथै।
पय जब केउंटा नाह जिहाज पर ले भागै चाहथै, इहैनिता उन गलही लग लंगर डालै के बहाने नाह जिहाज समुन्दर हे उतार दिहिन,