तब सेनापति सरदार आदेस देथै, कि पोलुस के अकेले हे लइ जाय, ऊ कथै, कि कोडा लगाय-लगाय के ओखर लग पूछ तांछ करे जाय, ताकि पता होय कि ओखर उप्पर मनसेन के हइ मेर चिल्लाय का कारन हबै।
काखे ऊ सेनापति हइ बात के सही-सही पता लगामै चाहथै, कि यहूदियन पोलुस हे आरोप काखे लगाइन, इहैनिता ऊ अगले रोज ओखर बंधन खोल दइस। फेर खास परधान याजक अउ उच्च यहूदी पंचायत के बुलउवा पठोइस अउ पोलुस के उनखर आगू लायके टाड के दइस।
काखे हइ बिबाद सुरु हुइ चुकथै, ता एखर लग सेनापति के सरदार डर गइस कि कहुं ऊ पोलुस के खन्डा-खन्डा झइ के डारै, इहैनिता ऊ सिपाहिन के आदेस देथै, कि ऊ तरी जायके पोलुस के उनखर लग अलगे करके भित्तर छो लइ जाय।
पय एखर बारे हे परभु राजपाल के लिघ्घो लिख पठोमै के मोर लिघ्घो कउनो निस्चित बात नेहको हबै, मै इके इहैनिता तुम्हर आगू खास रूप लग हे राजा अग्रिप्पा तुम्हर आगू लाय हबो ताकि हइ जांच पडताल के बाद लिखे के मोर लिघ्घो कुछु होय।