24 ऊ देमेतरियुस नाम कर अक्ठी मनसे जउन चांदी के काम करै बाले सोनरा रथै, ऊ अरतिमिस देबी के चांदी के मन्दिर बनवाथै, जेखर लग मिसतिरिन के बोहत फायदा मिलथै।
जब हम बिनती करै के जिघा हे गयन, ता हमके अक्ठी जबान हरवाहिन मिलथै जेहमा आगू कर बात गुठे बाले आतमा रथै अउ भभिस्य गुठेवै लग अपन मालिक कर निता बोहत कुछ कमाथै।
जब ओखर मालिक देखथै कि हमार कमाई के आसरा खतम हुइ गय, ता पोलुस अउ सीलास के पकडके चउक हे मुखिया के लिघ्घो खींच लइ जथै
ऊ उनही हइ काम लग जुडे हर दूसर मिसतिरिन के अक जिघा करथै, “हे मनसे, तुम जानथा कि हइ काम लग हमके केतका फायदा मिलथै।
अगर देमेतरियुस अउ ओखर संगी कारीगरन के कउनो लग झगडा हबै ता कचहरी खुले हबै अउ सिपाही भी हबै उनखर उप्पर अक दूसर हे मुकदमा चला सकथन।