26 ऊ अक्ठी मूल लग मनसेन के सगलू जाति सगलू भुंइ हे रहै बाले कर निता बनाय हबै अउ उनके ठहराय हर टेम अउ निबास के सीमन के इहैनिता बांधथै,
पय तुमके ऊ अपन खुद अपन गवाह देय बिगर नेहको छांडिस। काखे ऊ तुम्हर संग भलाई करिस, ऊ बादर लग पानी दइस अउ मउसम के जसना फसल दइस, ऊ तुमही भोजन देथै अउ तुम्हर मन के खुसी लग भर देथै।”
हइ उहै परभु गुठेथै, जउन जगत हे सुरुवात ले इन बातन के संदेस देत आय हबै।
जउन मेर सब मनसे आदम हे मरथै, उहैमेर सब मसीह हे फेरै जिन्दा करे जही,
पहिले मनसे माटी लग बने हबै अउ भुंइ के हबै, दूसर मनसे स्वरग के हबै।
अगर हम बडा मुकति के उम्मीद या बुराई करथन, ता कसना बच सकथन हइ मुकति जउन पहिले बार परभु के दवारा घोसित करे गइस, हमके उनखर दवारा पुस्टी करे गइस, जिनही उनखर दवारा सुनिस।