25 न कउनो चीज के जरुरत के कारन मनसेन के हाथन के सेबा लेथै, काखे ऊ खुद सब के जीवन अउ जीव अउ सांस अउ सगलू कुछ देथै।
असना करै लग अपन स्वरग कर बाफ कर टोरवा-टोरिया ठहरिहा, काखे ऊ निक्खा अउ बेकार दोनोन हे अपन बेरा निकारथै अउ धरमी अउ पापी दोनोन हे पानी बरसाथै।
अब तुम जा अउ हइ किस्सा के मतलब समझा, मै बलि नेहको चाहथो बलुक दया चाहथो, काखे धरमी मनसेन के निता नेहको पय पापिन के बुलामै आय हव।”
पय तुमके ऊ अपन खुद अपन गवाह देय बिगर नेहको छांडिस। काखे ऊ तुम्हर संग भलाई करिस, ऊ बादर लग पानी दइस अउ मउसम के जसना फसल दइस, ऊ तुमही भोजन देथै अउ तुम्हर मन के खुसी लग भर देथै।”
काखे कि हम उहै हे जिन्दा रहथन अउ चलत फिरत अउ स्थिर रथन, इहै मेर खुद तुम्हर लेखक कथै, काखे हम उहै के लरका हबन।
या कोहर आगू उके कुछु दय हबै, जेखर पलटा कुछु दय जाय।
हइ बरतमान दुनिया के धनड्ड लग निबेदन करा कि ऊ घमंड झइ करै अउ नास होय बाले धन-डेरा हे नेहको, बलुक भगवान के उप्पर आसा रखा, जउन हमर निस्तार के सब चीज जादा मातरा हे देथै।