35 जब दिन होथै तब रोमन साहब लग अपन सिपाही के कहला पठोथै कि उन मनसेन के छांड देया।
“जब तुमके बिनती भवन अउ सजा देय बाले अउ सासक के आगू खींच लइ जइही, ता एखर बारे हे चिन्ता झइ करबे, कि तुम कसना अउ काहिन जबाब दइहा, पय अपन पल्ला लग काहिन कहिबे।
तब ऊ उनके अपन घर हे लइ जाय के उनखर आगू भोजन रखथै, अउ सगलू बिरादरी भगवान के उप्पर बिस्वास करिन अउ सगलू बिरादरी के संग खुसी मनाथै।
फेर जेल के अधिकारी हइ बात पोलुस लग कथै, “सिपाही तुमके छांड देय के आदेस लग पठोय देय हबै। इहैनिता अब निकरके सान्ति लग कढ जा।”
सिपाही हइ बात सिपाही लग कथै अउ उन हइ सुनके कि रोमी हबै, बोहत डर जथै,
फेर उनही ऊ बोहत हडकाय के छांड देथै, काखे उनही सजा देय के कउनो मेर के बहाना नेहको मिलिस, काखे जउन घटना घटे रथै, ओखर निता सगलू मनसे भगवान कर बडाई करथै।
उन चेलन के बुलाय के उनही कोडा लगवाथै अउ उनही आदेस देथै, कि यीसु के नाम के चरचा झइ करै अउ उनही छांड देथै।