16 जब हम बिनती करै के जिघा हे गयन, ता हमके अक्ठी जबान हरवाहिन मिलथै जेहमा आगू कर बात गुठे बाले आतमा रथै अउ भभिस्य गुठेवै लग अपन मालिक कर निता बोहत कुछ कमाथै।
उन लालच हे तुमही अपन मन गडन्त बातन हे फसाय के तुम्हर लग बेकार फायदा उठाही, उनखर निता नियाव सजा पहिले लग तय हुइ चुके हबै, अउ ऊ उनखर पाछू करत हबै, उनखर नास सोय हर नेहको हबै।