30 फेर उन बिदा हुइके अन्ताकिया पहुंचथै अउ बइठक के अक जिघा करके ऊ चिट्ठी उनही दइ देथै।
जउन मनसे ऊ दुख के मारे जउन स्तिफनुस के जसना पडे रहिस, जउन बिस्वासी छिदिर बिदिर हुइ गय रथै, ऊ घूमत फीनीके अउ साइप्रस अउ अन्ताकिया हे पहुंचथै, पय यहूदी के छांडके कउनो अउ के संदेस नेहको सुनथै।
इहै बिस्वासी मसे कुछ साइप्रस अउ कुरेनी के रथै, इहैनिता जब ऊ अन्ताकिया छो आयके यूनानियन के परभु यीसु के संदेस के सुनामै लगिन।
उहै रोज हे कइन झन ग्यानी मनसे यरुसलेम नगर ले अन्ताकिया छो आथै।
तब सगलू मंडली सहित चेला अउ सियान के निक्खा लागथै, कि अपन मसे कुछ मनसेन के चुनै, मतलब यहूदा जउन बरसब्बा कहाथै अउ सीलास के जउन भाइन मसे मुखिया रथै अउ उनही पोलुस अउ बरनबास के संग अन्ताकिया छो पठोथै।
उन चिट्ठी पढ के ऊ उपदेस के बात ले अति मगन होथै।
तब नगर हे जात हर उन नियाव के जउन यरुसलेम के चेला अउ सियान निस्चित करे रथै, कि उन मनसे ओखर पालन करै।
ता फेर काहिन करे जाय? मनसे जरूरी सुनहिन तै आय हबस।
उन कैसरिया पहुंचे हाकिम के चिट्ठी दइस अउ पोलुस के ओखर लिघ्घो ठाड करिस।
बारहठे चेला, चेलन के सगलू मंडली के अक जिघा बुलाय के कथै, हमर निता भगवान के बचन के सेबा के छांडके खाय पीय अउ पइसन के जुगाड करै के जरूरी नेहको आय।