जब ऊ ओखर लग मिलथै, ता उके अन्ताकिया छो लानथै अउ असना होथै, कि ऊ अक साल तक मंडली के संग मिलथै अउ बोहत मनसेन के संदेस देत रथै अउ चेला सब लग आगुन अन्ताकिया हे मसीही कहलाथै।
तब ऊ उनही हाथ लग इसारा करथै, कि सान्त रइहा अउ उनही गुठेथै, कि परभु कउन मेर लग मोके जेल लग निकार लाय हबै, फेर कथै याकूब अउ बोहत बिस्वासी भाई के हइ बात गुठे देबे, तब निकर के दूसर जिघा कढ जथै।