35 इहैनिता ऊ अक्ठी अउ दूसर भजन हे गुठे हबै, तै अपन पवितर जन के सरै नेहको दइहे।
अउ उके पवितर आतमा लग हइ परकासन मिले रथै, कि जब तक ऊ परभु मसीह के नेहको देख लइ, तब तक ओखर मिरतू नेहको हुइ।
जउन टोरवा हे बिस्वास करथै, सबरोज के जीवन ओखरै हबै, पय जउन भगवान के बात के नेहको मानथै, उके जीवन नेहको मिलही, पय भगवान कर गुस्सा ओखे उप्पर बने रही।
मै तुम्हर लग सही-सही कथो, कि अगर कउ मनसे मोर बचन हे चलथै, ता ऊ कबहुं मिरतू के नेहको देखही।
बिस्वास लग हनोक जिन्दा स्वरग छो कढ गइस ऊ मिरतू के नेहको देखिस, काखे भगवान उके स्वरग हे उठाय लय रहिस अउ ओखर उठाय जाय लग पहिलेन ओखर बारे हे हइ कथै कि ऊ भगवान के मगन करे रहिस।