जब तुम बिनती करत हबा, ता अपन कोठा हे जा अउ दूरा ढाप के अपन स्वरगी बाफ लग गुप्त रूप लग बिनती करा। तब तोर बाफ जउन गुप्त हे करे हर कामन के देखथै, तोके फडुहा देही।
हर मेर के पराथना बिनती अउ निबेदन सहित आतमा के मदद लग हर मउका हे पराथना करत रहा, हइ लक्छ लग सगलू मेर के परयास करत रहा सचेत रहा, अउ सगलू पवितर सेबकन के निता पराथना करा।