धन्य हबै ऊ, जउन मनसे परिक्छा हे ठाड रथै काखे परिक्छा हे खरा उतरै हे उके जीवन के ऊ मुकुट मिलही, जेही परभु अपन सेबक के दे के टीमा अपन माया करै बाले लग करे हबै।
तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”
पय हम हइ देखथन कि यीसु कुछ टेम के निता स्वरगदूतन लग नान बन गइस, पय मिरतू लग गुजरै के बाद यीसु के महिमा अउ इज्जत के मुकुट पहिनाय गइस, हइ मेर ऊ भगवान के अनुगरह किरपा लग हर अक्ठी मनसेन के निता मिरतू के मिठास चीख सकै।