ऊ बिजहा जउन गली कर टाठा हे गिरे रथै, ओखर मतलब हबै, कि जब कउ स्वरग के राज के संदेस सुनथै, अउ उके नेहको समझथै, ता भुतवा आय के ओखर मन हे जउन बिजहा बोय रथै उके चुराय लइ जथै।
भगवान दुनिया के उनही चुनिस जउन नीच हबै, बेकार हबै जिनखर लग घिनाथै, अउ जउन कुछु हइ नेहको हबै। भगवान इनही चुनिस ताकि दुनिया जेही कुछ समझथै, उके ऊ नास के सकै।
पय अब हमर मुकति करै बाले मसीह यीसु के परगट होय के दवारा हमर निता परकासित हुइस, जउन मिरतू के नास करे हबै अउ जीवन अउ अमर के संदेस के दवारा उजियार के दय हबै।
ओखर मुंह लग अक्ठी बोहत चोंख तलबार निकडिस कि ऊ ओखर लग देस के नास करै, ऊ लोहा के राजदंड लग उनखर राज करही, ऊ सर्वसक्तिमान भगवान के गुस्सा के जलजलाहट के अंगूर कर रस कुन्ड राउंदही।
तब उनके बहकामै बाले भुतवा के आगी अउ धंधकत कुन्ड हे डाल दय जही, जिहां गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसेन के डाले गय रथै, उन रात दिन पीरा हे हरमेसा तक तडपत रइहीं।