14 इहैनिता, हे पिरिया भाई अउ बेहन, जब तुम ऊ रोज के ओरगे हबा, ता परियास करा कि परभु के नजर हे पवितर अउ निरदोस पाय जा, अउ तुम्हर हे ओखर सान्ति के निबास होय।
कि तुम हइ बुरी अउ भ्रस्ट पीढी हे भगवान के निरदोस टोरवा के रूप हे खुद के निस्कपट अउ निसपाप साबित के सका कि तुम हइ दुनिया हे जलत चिमनी के जसना चमकत दिखाई देथा।
जसना ऊ अपन सगलू चिट्ठी हे इन बातन के चरचा करथै, उन चिट्ठी हे कुछ असना बात हबै, जउन समझै हे कठिन हबै, जउन अनपढ अउ हुसियार मनसे बिगाड देथै, हइ मेर अपन नास के लेथै।