21 सही तो इहै होथै कि उन नियाइपन धरमी रास्ता के अहसास नेहको होय होतिस बजाय एखर लग कि ऊ ओही जानै के बाद, जउन पवितर आदेस उनही सउपे गय रथै ओखर लग उन मुंह मोडथै,
हे मोर पिरिया संगी, मै बोहत चाहथो कि तुमके ऊ मुकति के बारे हे लिखो, जेहमा हम सहभागी हबन, मै तुमके लिखे के अउ तुमके खुस करै के जरूरी समझो ताकि तुम ऊ बिस्वास के निता मेहनत करथा, जेही भगवान अपन पवितर सेबक के अक्कै बेर निता सउप दय हबै।