13 इन बेकार कामन के सजा भोगही, उन दिन दुपहरी भोग बिलास करै के पसंद करथै, उन कलंक अउ पापी हबै, अउ तुम्हर संग खात पियत हबै, ता अपन पार लग माया भोज करके एसो आराम करथै।
तुमो ओखर संग ओसना सोगत करा जसना तुम्हर संग ऊ करे रथै, जउन ऊ तुम्हर संग करिस ओखर लग दुइ गुना ओखर संग करा, ऊ जउन खोरिया हे दूसर के निता दारू तइयार करे हबै, तुम उहै हे ओखर निता दुइ गुना दारू भर देया।