जिहां तक मोर बात हबै, मोर लिघ्घो जउन कुछु हबै, तुम्हर खुसी के निता खरच करिहों, इहां तक कि खुद के तुम्हर निता खरच के डरिहों, अगर मै तुम्हर लग जादा माया करथो, ता भला तुम मोके कम माया कइसन करिहा।
हइ कारन दुरिहां होउत भरमा मै तुमके हइ सब लिखथो कि उहां मउजूद होमै हे मोके परभु दवारा दय गय हक का परयोग ठोस भाव हे झइ करै के पडै, हइ हक के उदेस्य हबै उन्नत करै के न कि नास करै के।
तुम सब के बारे हे मोर निता असना सोंच बढिहा हबै, काखे तुम सब मोर मन हे बसे हबा, अउ न बलुक तब जब मै जेल हे बेडररे रहों, तबो मै संदेस के सत्य के मदत करत ओखर परतिस्ठा हे लगे रहों, तुम सब ई खासके मोर संग अनुगरह हे सहभागी रहे हबा।