“पय पइसा उगाहै बाले सिपाही दुरिहां ठाड रथै अउ इहां तक कि स्वरग छो, अपन आंखी तक नेहको उठावत रहिस, अपन छाती ठोक के कथै, हे भगवान मै पापी हबो मोर हे दया कर।
अब मै खुस हव, इहैनिता नेहको कि तुम दुखी होया पय इहैनिता कि तुम्हर मन बदलिस, तुम ऊ दुख के भगवान के इक्छा के जसना स्वीकार करा, अउ हइ मेर तुमके मोर पल्ला लग कउनो नुसकान नेहको हुइस।
तुम जानत हबा कि ऊ बाद हे अपन बाफ के आसीस दुइबारा पामै के चाहथै, पय ऊ बेकार समझे गइस, ऊ रोउत एखर निता बिनती करिस, तउभरमा ऊ अपन बाफ के मन के नेहको बदल सकिस।