सही हइ हबै कि ई घर हे रहत भरमा हम भार हे दबे हर दुख हे रथन, काखे हम चाहथन कि हम बिना कपडा के नेहको रही, पय कपडा पहिरी कि जउन कुछ सारीरिक हबै ऊ जीवन के निरवाह बन जाय।
सुना, मै चोरटा के जसना अइहों, धन्य हबै ऊ, जउन जगथै अउ अपन बन्डी के अपन संग धरथै, ताकि कहुं असना झइ होय कि ऊ बिना बन्डी के फिरै अउ मनसे के बिना बन्डी के बेज्जती होमैके पडै।