4 मै बडा दुख हे मन के गहरी दुख सहत अउ आंसू बोहाय-बोहाय के ऊ चिट्ठी लिखे रथो मै तुमके दुख देय के निता नेहको लिखे रथो, बलुक इहैनिता कि हइ जान जा कि मै तुम्हर लग केतका माया करथो।
जिहां तक मोर बात हबै, मोर लिघ्घो जउन कुछु हबै, तुम्हर खुसी के निता खरच करिहों, इहां तक कि खुद के तुम्हर निता खरच के डरिहों, अगर मै तुम्हर लग जादा माया करथो, ता भला तुम मोके कम माया कइसन करिहा।